दिल ही दिल में हम तड़पते है क्यों ?
मतलबी है आप , चुप रहते क्यों ?
तोड़ना ही है तो जाके पत्थर तोडो
एक दिन भी हम से मुँह मोड़ते है क्यों ??
इस सनसनी शहर में सूना हूँ मै !
मचलती मचली की तड़प कौन जाने ?
गलियोंका आवारा मत बनावो हमें !
मेहरबानी हो , इतनी सी प्यार बरसावो !!
गली की हर कुवारी दिखती तो है खूबसूरत
छापा है हर चहरे पे एक पहचान !
सोचता हूँ मै क्या तेरी पहचान है ?
आखिर में देखा ,
दिल की किताब में किसीने दस्तखत की है !!
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