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Thursday, October 29, 2009

suna suna

दिल  ही  दिल  में  हम  तड़पते   है  क्यों ?
मतलबी  है  आप , चुप  रहते  क्यों ?
तोड़ना  ही  है  तो  जाके  पत्थर  तोडो
एक  दिन  भी  हम  से  मुँह  मोड़ते  है  क्यों ??


इस  सनसनी  शहर  में  सूना  हूँ  मै !
मचलती  मचली  की  तड़प  कौन  जाने ?
गलियोंका  आवारा  मत  बनावो  हमें  !
मेहरबानी  हो , इतनी  सी  प्यार  बरसावो  !!

गली  की  हर  कुवारी  दिखती  तो  है  खूबसूरत
छापा  है  हर  चहरे  पे  एक  पहचान  !
सोचता  हूँ  मै  क्या  तेरी  पहचान  है ?
आखिर में  देखा ,
दिल  की  किताब  में  किसीने  दस्तखत की  है  !!

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